विश्व-राष्ट्रपति

विश्व राष्ट्रपति

विश्व राष्ट्राध्यक्ष के रूप में विश्व-राष्ट्रपति का चुनाव किया जावेगा। विश्व राष्ट्रपति का चयन विश्व संसद के चुने हुये सांसद एवं विश्व के  सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष करेगे। बहुमत प्राप्त व्यक्ति को विश्व-राष्ट्रपति घोषित किया जावेगा।

विश्व राष्ट्रपति  की योग्यता

विश्व-राष्ट्रपति बनने के लिये आवश्यक शर्त होगी कि वह किसी ऐसे राष्ट्र का जिसकी जनसंख्या 10 करोड़  से कम न हो और कम से कम 5 वर्ष सफल शासनाध्यक्ष          ( राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ) रहा हो।

विश्व-राष्ट्रपति होने के लिये उम्र 45 वर्ष से अधिक तथा 70 वर्ष से कम हो।

विश्व-राष्ट्रपति को कोई ऐसी बीमारी न हो जिससे वह अपने कार्यकाल को पूर्ण न कर सके अर्थात् किसी प्रकार कि घातक बीमारी न हो। प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी हो।

राष्ट्रपति  का कार्यकाल

विश्व-राष्ट्रपति का कार्यकाल 10 वर्ष हो, जिससे वह प्रारम्भ की गई नीतियों एवं योजनाओं को अपने शासन काल में ही पूरा कर सके। विश्व संसद एवं मंत्रिमंडल का कार्यकाल भी 10 वर्ष का हो। इतने बड़े स्तर पर चुनाव की कठिनाईयां भी कम होंगीं।

राष्ट्रपति के अधिकार

  • विश्व-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के सलाह से समस्त कार्य करेगा।
  • विश्व-राष्ट्रपति का प्रशासनिक मुख्यालय किसी बड़े राष्ट्र के सुविधा जनक नगर में होगा।
  • विश्व-राष्ट्रपति पूरे विश्व में सबसे बड़ा अधिकारी होगा।
  • विश्व-राष्ट्रपति पूरे विश्व की सेनाओं का प्रधान सेनापति होगा।
  • पूरे विश्व की  सेना  विश्व सरकार के अधीन होगी।
  • विश्व की समस्त आयुध फैक्ट्रियां विश्व राष्ट्रपति के अधीन होगीं।
  • विश्व के समस्त परमाणु बम भंडार, हाइड्रोजन बम भंडार, रासायनिक हथियार भंडार, समस्त जैविक हथियार के भंडार विश्व राष्ट्रपति के अधीन होंगे।
  • विश्व-राष्ट्रपति के आधीन पूरे विश्व के नागरिक होंगे उन्हें विश्वमानव माना जावेगा।
  • विश्व-राष्ट्रपति को अधिकार होगा कि पूरी जनता को आंतकवाद ,साम्प्रदायवाद से सुरक्षित कर नवीन मानव सभ्यता (Human Culture) की व्याख्या करे।
  • सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व-राष्ट्रपति के नियंत्रण में होंगे, उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ, आईएमएफ, विश्व बैंक आदि।

राष्ट्रपति  के कर्तव्य

  1. विश्व-राष्ट्रपति  मंत्रिमंडल के सलाह से पूरे विश्व के राष्ट्रों को समुचित विकसित करे।
  2. जिन देशो में प्रचुर मात्रा में खाद्यान का उत्पादन नहीं होता, उन्हें अन्य देशो से खरीद कर  खाद्यान का भण्डारण एवं आपूर्ति कराये। विश्व के किसी देश में भुखमरी न रहे।
  3. प्रकृति के अनुकूल जिस देश में जिस वस्तु का उतपादन हो सकता हो उन देशो में उस वस्तु का उत्पादन बढाये।
  4. पूरी पृथ्वी में शान्ति की स्थापना हो, तथा विश्व बंधुत्व धारणा का प्रचार पुर्न स्थापित करना।
  5. स्वर्ग-नर्क की परिकल्पना वैज्ञानिक, यथार्थ एवं व्यवहारिक ढंग से करके मानव में मनुष्यता (वसुधैव कोतुंबकम) को बढ़ावा देना।
  6. पूरे विश्व में यातायात के साधनों को बढ़ाना एवं उनका समन्वय।
  7. वर्षा का पानी रोक कर यथा सम्भव एक देश से दूसरे देश तक पानी पहुँचाना।
  8. पर्यावरणीय समृद्धि तथा प्रकृतिक संसाधनो का समुचित उपयोग करना।
  9. पूरे विश्व में स्वास्थ्य सुविधायों की वृद्धि एवं एक दूसरे देशों के लिए पारस्परिक स्वास्थ्य सुविधाऐं उपलब्ध कराना।
  10. तकनीकि विज्ञान एवं शिक्षा के मूल्य शिक्षा का प्रसार करना। विश्व राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्यो का पालन मंत्रिमंडल के सहयोग से प्रधानमंत्री करेगा।

विश्व-राष्ट्रपति  को हटाना

यदि चुने हुये सांसदो को विश्व-राष्ट्रपति के कृत्यों से अनुभव होता है कि विश्व राष्ट्रपति निरंकुश शासक का रूप ले रहा है तो विश्व संसद के  1/3  सदस्य महाभियोग का प्रस्ताव लायें जिसे विश्व संसद के 2/3 बहुमत से पारित होना चाहिए। तथा विश्व-संसद की उच्च सदन के बहुमत से मान्यता मिल जाने पर राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे देना होगा।

दुनिया बहुत बड़ी है हजारों साल पहले लोग पैदल चलने के लिए या गाड़ियां चलाने के लिए घोड़े, हाथी जैसे जानवरों की सहायता करते थे। वहां कई छोटे और बड़े राज्य थे, जिनके शासकों ने स्वयं के बीच लड़ाई करके उनकी संपत्ति और समृद्धि का विस्तार करने के लिए उत्सुक थे। ऐसे युद्धों में केवल उन लोगों को मार डाला जिन्होंने सीधे लड़ाई में भाग लिया। सामूहिक विनाश के हथियारों की उपलब्धता के साथ गुस्सा जैसे प्राकृतिक वृत्ति ने राष्ट्रों के लिए एक दूसरे को या पूरी दुनिया को नष्ट करने के लिए संभव बना दिया है अगर हम दुनिया के किसी नुकीले और कोने में किसी के साथ सेकंड के भीतर संवाद कर सकते हैं, तो हम राष्ट्रों के बीच न युद्ध के नए विश्व व्यवस्था पर क्यों नहीं सोचते?