विश्व सरकार की आवश्यकता

विश्व सरकार की क्या आवश्यकता है:-

वर्तमान समय में लगभग 20 हजार परमाणु बम, हाईड्रोजन बम का भंडार है। लाखों टन रासायनिक हथियार, जैविक हथियार मौजूद हैं। दुनिया में महाशक्तियाँ आगे बढ़ने की होड़ में लगी हैं। जो कम शक्तिशाली है वह सबसे अधिक शक्तिशाली बनने में लगा है, जो महाशक्तिशाली है, वह और अधिक शक्तिशाली बनने में लगा है। विकासशील राष्ट्र हथियारों का भंडारन बढ़ा रहे हैं। समुद्र एवं आकाश में वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश में शक्तिशाली जल जहाज, पनडुब्बियाँ, लड़ाकू विमान बनाये एवं खरीदे जा रहे हैं। सीमा सुरक्षा के नाम पर बजट का भारी हिस्सा व्यय किया जा रहा है। यह होड़ रुक नहीं रही है। अमीर एवं शक्तिशाली देश खतरनाक हथियारों का उत्पादन बढ़ा रहे हैं और गरीब देश सुरक्षा के नाम पर खरीर रहे हैं।

आतंकवाद, सम्प्रदायवाद बढ़ता जा रहा है। सभी अहंकार में डूबे हुये हैं। कुछ प्रभावशली देश दुनिया में वर्चस्व बढ़ाने में लगा है एवं अन्य कुछ देश भी इस होड़ में लगे हैं। स्थिति कभी भी विस्फोटक रूप ले सकती है। चिन्गारी लगते ही परमाणु बम से लैस मिसाइलें सक्रिय हो जायेंगी। आक्रमण युद्ध जीतने के नाम पर बड़ा तेज हो जायेगा। परमाणु युद्ध हो जाने के बाद कोई व्यक्ति जीवित नहीं रहेगा जो युद्ध कैसा था बता सके और न सुनने वाला जिन्दा रहेगा।

अभी हम कल्पना कर सकते हैं कि युद्ध की विभीषिका कैसी होगी। हमारे सामने जापान के हिरोसिमा, नागासाकी के परमाणु बम की त्रासदी मौजूद है। कल्पना करिये युद्ध की विभीषिका कैसी होगी। युद्ध प्रारम्भ होते ही स्वचलित मिशाइलें परमाणु बम गिराना प्रारम्भ कर देंगी। ऐसा लगेगा कि हजारों सूर्य पृथ्वी पर उतर आये। पृथ्वी में भारी शोर के साथ भारी गड्ढे खुद जायेंगे। संसार के सारे जीव-जन्तु, कीड़े-मकोड़े, मानव, जानवर सब एक मिनट में मर जायेंगे। भारी मात्रा में धूल के कण एवं विषैली गैसों से भरे धुयें आकाश में फैल जायेंगे। पृथ्वी अंधकार से ढंक जायेगी। सूर्य की किरणें पृथ्वी तक कई माह तक नहीं पहुंचेंगी। सूर्य की किरणें पृथ्वी में न पहुंचने पर बर्फ की मोटी तह पृथ्वी में जम जायेगी। कई सालों बाद घुंआ साफ होगा, तब बर्फ पिघलेगी। पृथ्वी में सूनसान वातावरण होगा। पुनः कई वर्ष बाद छोटे जीव जन्तु पैदा होंगे। पुनः मनुष्य पैदा होगा कि नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता। अगर मनुष्य पैदा भी होगा तो उसका स्वरूप कैसा होगा, अन्दाज लगाना कठिन है। वर्तमान सभ्यता आने में शायद लाखों वर्ष लगें।

क्या हम इस विनाशलीला देखने को तैयार हैं? गम्भीरता से सोचिये, कौन जिम्मेदार होगा, इस विनाश का। ईश्वर ने, अल्लाह ने, गाॅड ने चाहे जो कहें इस संसार की रचना की है। हम इसे बचाने की कोशिश करें। आज मनुष्य अधिक ज्ञानी भी है, आज आने-जाने के साधन भी हैं तो क्यों न हम इस विनाश से बचाने के लिये ‘‘विश्व सरकार’’ की कल्पना करें। संसार को बचाने के लिये विश्व सरकार की आवश्यकता है।

दुनिया बहुत बड़ी है हजारों साल पहले लोग पैदल चलने के लिए या गाड़ियां चलाने के लिए घोड़े, हाथी जैसे जानवरों की सहायता करते थे। वहां कई छोटे और बड़े राज्य थे, जिनके शासकों ने स्वयं के बीच लड़ाई करके उनकी संपत्ति और समृद्धि का विस्तार करने के लिए उत्सुक थे। ऐसे युद्धों में केवल उन लोगों को मार डाला जिन्होंने सीधे लड़ाई में भाग लिया। सामूहिक विनाश के हथियारों की उपलब्धता के साथ गुस्सा जैसे प्राकृतिक वृत्ति ने राष्ट्रों के लिए एक दूसरे को या पूरी दुनिया को नष्ट करने के लिए संभव बना दिया है अगर हम दुनिया के किसी नुकीले और कोने में किसी के साथ सेकंड के भीतर संवाद कर सकते हैं, तो हम राष्ट्रों के बीच न युद्ध के नए विश्व व्यवस्था पर क्यों नहीं सोचते?