विश्व सरकार का गठन

विश्व बंधुत्व  एवं विश्व कुटुम्वकम्  अर्थात् मानवीयता के संरक्षण की अवधारणा का आधार एवं बहुत ऊँची सोच, बहुत ऊँची कल्पना, बहुत बड़े त्याग को लेकर आगे बढना होगा। सबसे पहले विश्व युद्ध के परिणामों की भयावह स्थिति का बोध जिसमें विश्व श्मसान का रूप ले सकता है। ऐसे भयानक परिणाम से छुटकारा पाने पर विचार करना होगा। जब उच्च स्तर पर निदान की यह प्रस्तावित भूमिका संभव लगे तब विस्तृत एवं व्यवहारिक पहल के लिए विचार करना होगा।

विश्व में लगभग 200 छोटे-बड़े राष्ट्र हैं यदि प्रत्येक राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष, प्रधान मंत्री, प्रमुख चिन्तक, प्रमुख विपक्षी नेताओं को भी आमत्रिंत करंे तो एक राष्ट्र से लगभग 20 या 25 नेता जुटेगंे। दो सौ राष्ट्रों से लगभग 5000 प्रतिनिधियों/नेताओं को आमत्रिंत कर उनके विचार जानना होगा। इन 5000 विश्व नेताओ से 03 दिन विस्तृत चर्चा करनी होगी। सबके विचार लेकर सर्वसहमति से प्रस्ताव पास करना होगा।

क्षेत्रफल के निर्धारण पर विचार

प्रथम पहल सार्थक होने पर “विश्व सरकार“ का क्षेत्रफल निश्चित करना होगा।

“विश्व सरकार“ के क्षेत्रफल में विश्व के समस्त बड़े-छोटे राष्ट्र एवं सम्पूर्ण पृथ्वी, पहाड़, खनिज, जल एवं आकाश होगा।

प्रस्तावित-संरचना व्यवस्था

सम्पूर्ण विश्व की एक महान संसद होगी। इसके संसदीय क्षेत्र 20 लाख जनसंख्या पर एक सांसद। विश्व की लगभग  600 करोड़ जनसंख्या है। जनसंख्या के अनुपात से लगभग 3000 सांसद होगे। चुनाव-संसदीय चुनाव प्रणाली के अनुसार आयोजित किया जायेगा। इन्ही सांसदों से विश्व सरकार का गठन किया जाना प्रस्तावित है।

विश्व में प्रमुख चार राजनैतिक विचार धारायें हैंः-

ऽ     पूँजीवादी विचार धारा

ऽ     साम्पवादी विचार धारा

ऽ     समाजवादी विचार धारा

ऽ     समन्वयवादी विचार धारा

चारों विचार धाराओं के आधार पर चार राजनैतिक दल बनाए जायें। विश्व के  अग्रणी नेता अपने-अपने विचारों के आधार पर किसी एक पार्टी के सदस्य बने। पार्टीयों के नाम निम्न प्रकार से प्रस्तावित है-

आर्थिक विकास पार्टी

साम्यवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी

समन्वयवादी पार्टी

उपरोक्त तीनों पार्टियाँ विश्व संसद के लिये अपने-अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारें। चुनाव की पूर्ण प्रक्रिया वर्तमान में जारी संसदीय प्रणाली के समान होंगी। जिस पार्टी से सबसे अधिक सांसद जीतकर आयंे अर्थात् जीते हुए सांसदों की सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी का नेता अपनी सरकार/मंत्रीमंडल बनाये। चुनाव लड़ने की शर्त यह होनी चाहिए कि जो प्रत्याशी जहाँ से चुनाव  लड़े, वह उसी संसदीय क्षेत्र का निवासी हो।

विश्व संसद में दो सदन

जो सीधे जनता द्वारा चुनी जावे

विश्व संसद की उच्च सदन जिसमें  प्रत्येक राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष सदस्य हों। इनकी संख्या लगभग 200 होगी। विश्व सरकार के गठन के लिये सबसे बड़ी पार्टी (चुनाव जीते हुए अधिकतम सांसद के आधार पर) को आमंत्रित किया  जावें। सरकार बनाने के लिये 50ः सांसद होना आवश्यक न रहे क्यों कि यह खीचतान एवं भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा देती हैं। सबसे ज्यादा मत पाने वाला विश्व-सांसद  हो तथा सबसे बड़ी पार्टी सरकार बनाये। संसद का कार्यकाल 10 वर्ष रखा जाएँ।

विश्व सरकार बनाने में कौन सी प्रणाली अपनाई जायेगी?

जब से दुनिया बनी है, तब से लेकर अब तक चार प्रणालियों से शासन चलाया गया है

(1) राजतंत्र

(2) कुलीन तंत्र

(3) निरंकुश तंत्र

(4) प्रजातंत्र

दुनिया के कई देशों में आज भी राजतंत्र है। कुछ देशों में निरंकुश तंत्र है। परन्तु जनता में जैसे-जैसे जागरुकता आती गई प्रजातंत्र शासन प्रणाली वहाँ शासन में आती गई। सबसे अच्छी शासन प्रणाली प्रजातंत्र को माना गया है।

प्रजातंत्र शासन प्रणाली के दो प्रकार हैं –

(1) अध्यक्षीय शासन प्रणाली   (2) संसदीय शासन प्रणाली

संसदीय शासन प्रणाली सर्वश्रेष्ठ प्रणाली है। अतः विश्व सरकार बनाने में इसी प्रणाली को अपनाना उचित होगा।

दुनिया बहुत बड़ी है हजारों साल पहले लोग पैदल चलने के लिए या गाड़ियां चलाने के लिए घोड़े, हाथी जैसे जानवरों की सहायता करते थे। वहां कई छोटे और बड़े राज्य थे, जिनके शासकों ने स्वयं के बीच लड़ाई करके उनकी संपत्ति और समृद्धि का विस्तार करने के लिए उत्सुक थे। ऐसे युद्धों में केवल उन लोगों को मार डाला जिन्होंने सीधे लड़ाई में भाग लिया। सामूहिक विनाश के हथियारों की उपलब्धता के साथ गुस्सा जैसे प्राकृतिक वृत्ति ने राष्ट्रों के लिए एक दूसरे को या पूरी दुनिया को नष्ट करने के लिए संभव बना दिया है अगर हम दुनिया के किसी नुकीले और कोने में किसी के साथ सेकंड के भीतर संवाद कर सकते हैं, तो हम राष्ट्रों के बीच न युद्ध के नए विश्व व्यवस्था पर क्यों नहीं सोचते?